Wednesday, September 22, 2010

स्वामी शिवानन्द का कहना है

सर्वप्रथम स्वयं को सुधारें, तभी पूरा संसार सुधारा जा सकता है| तुम संसार की सहायता किस प्रकार कर सकते हो जब तुम स्वयं ही कमजोर और अज्ञानी हो|यह तो एक अंधे आदमी का दूसरे अंधे आदमी को रास्ता बताने जैसा ही होगा| दोनों ही गहरे गर्त में गिर जाएँगे|-