Friday, May 31, 2013

Impressive Plays by students of National Law University


The students staged four plays in an evening dubbed as Dionysia the Drama Fest in the National Law University Delhi, Sector 14, Dwarka Auditorium. Justice Gita Mittal of the Delhi High Court was the chief guest, and a number of literary figures including Dr. Ashok Lav and Mr. P.B. Mishra also graced the event. Dr. Ranbir Singh, the Vice Chancellor appreciated the efforts of the students and encouraged them to come up with more such programmes.
The themes revolved around the questions of justice, society and law. Dr. Prasannanshu who teaches English at National Law University and who was the organizer of the event says that literature cannot be read, it has to be lived and according to him the event was just an application of this principle. He said that greatest achievement was that all that students of the first year took part in the event in one role or the other.
The evening melted into the night brimming with humour, music, and endeavoring to deliver an important message to the legal fraternity amidst great joy and fervor.

Wednesday, May 22, 2013

डॉ अशोक लव की अध्यक्षता में ' माँ तुझे प्रणाम' काव्य-संध्या


द्वारका (नई दिल्ली ) के वरिष्ठ नागरिकों की संस्था ' सुख दुःख के साथी ' की ओर से 19 मई को ऐश्वर्यम सोसाईटी,सेक्टर-चार,द्वारका नई दिल्ली के सभागार में माँ तुझे प्रणाम’ काव्य-संध्या का आयोजन किया गया.इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अशोक लव ने की. काव्य-संध्या का आयोजन ओर संचालन कवि प्रेम बिहारी मिश्र ने किया. साहित्यकार डॉ अशोक लव तथा समाज-सेवी श्री मुकेश सिन्हा ने दीप प्रज्वलित करके समारोह का शुभारंभ किया.
श्री प्रेम बिहारी मिश्र की सरस्वती-वंदना से काव्य -संध्या का शुभारंभ हुआ.
डॉ अशोक लव, अशोक वर्मा, प्रेम बिहारी मिश्र, सत्यदेव हरियाणवी, विनोद बंसल, कर्नल जी.सी. चौधरी,अशोक शर्मा, अनिल उपाध्याय,वीरेन्द्र कुमार ,ध्रुव कुमार गुप्ता,कुलविंदर सिंह कांग, धीरज चौहान और डॉ प्रसन्नंशु ने कविता-पाठ किया. समारोह लगभग तीन घंटे तक चला.
 
डॉ अशोक लव ने ' अम्मा की चिट्ठी’, ‘एक चेहरा’ और ’नव आगमन’ आदि कविताएँ सुनाईं. ’अम्मा की चिट्ठी’ कविता की इन पंक्तियों आंसू टपक गया तब होगा, लिखना बंद कर दिया होगा ने श्रोताओं भावुक कर दिया.अशोक वर्मा की रेशा-रेशा टूटती है माँ सुबह से शाम तक आदि ग़ज़लों ने खूब रंग जमाया.प्रेम बिहारी मिश्र की कविता ‘जब होती है माँ’ का स्वागत श्रोताओं ने तालियों से किया. सत्यदेव हरयाणवी की ‘रिटायरमेंट’ कविता ने खूब हँसाया. कुलविंदर सिंह कांग और विनोद बंसल की व्यंग्य-कविताएँ खूब सराही गईं. अनिल उपाध्याय की कविता ‘मैं तेरी आँख का आँसू था ‘ और धीरज चौहान की ग़ज़ल के इस शे’र पहले कुछ अपनों से लड़ना पड़ता है/ फिर शोहरत की सीधी चढ़ना पड़ता है ‘ पर खूब तालियाँ बजीं. कवि वीरेन्द्र के पंजाबी गीत ‘ माँ नाल वड्डा रिश्ता नईं देख्या’ भावपूर्ण थी. ध्रुव कुमार गुप्ता के नेताओं पर कटाक्षों ने रंग जमा दिया.
अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ अशोक लव ने कहा कि कविता मानवीय संवेदनाओं को जीवंत रखती है. माँ पर लिखी कविताएँ दर्शाती हैं कि आज भी हम इन मूल्यों को जी रहे हैं.इसी प्रकार की मानवीय भावनाओं से पूर्ण कविताओं का सृजन जारी रहना चाहिए, श्री प्रेम बिहारी मिश्र ने ‘सुख-दुःख के साथी’ संस्था के माध्यम से प्रशंनीय शुरूआत की है. श्री प्रेम बिहारी मिश्र ने कवियों और श्रोताओं का आभार प्रकट किया.  
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Thursday, May 9, 2013

कैसे- कैसे पल / अशोक लव

कैसे- कैसे पल / अशोक लव
डगमगाते पग
नन्हें शिशु
तुतलाती ध्वनियाँ
स्नेह भरी कल-कल बहती नदी
अंतर्मन में समा-समा जाती
निश्छल मुस्कानें!

उफ़!
खो गए तुतलाते स्वर .
सूख गई नदी
तार-तार अंतर्मन
न सहने
न कहने की स्थिति.

तुतलाते स्वरों ने सीख लिए
शब्द
बोलते हैं अनवरत धारा प्रवाह
सिखाया था उन्हें ठीक-ठीक बोलना
अब वे बात-बात पर
सिखाते हैं.

नदी आँगन छोड़
कहीं ओर बहने लगी है
किन्हीं अन्य गलियों को
सजाने लगी है.

मुस्कानें
अपनी परिभाषा भूल गई हैं
मुस्कराने के प्रयास में
सूखे अधरों पर जमी
पपड़ियाँ फट जाती हैं
अधरों तक आते-आते
मुस्कानें रुक जाती हैं.

पसरा एकांत
बांय-बांय करता
घर-आँगन को लीलता
पल-पल
पैर फैलाए बढ़ता जाता है
कोना-कोना
लीलता जाता है.

कैसे - कैसे दिन
कैसे- कैसे पल उतर आते हैं
कैसे-कैसे रंग छितर जाते हैं!
@अशोक लव 

Monday, May 6, 2013

" समाज के लिए भी जीना चाहिए "--अशोक लव

निर्णायक के रूप में (दाएँ से ) श्रीमती नरेश बाला लव और श्रीमती के.एल छिब्बर
5 मई को मोहयाल सभा ,पश्चिम विहार,नई दिल्ली का वार्षिक मिलन मनाया गया. इसके मुख्य-अतिथि श्री अशोक लव (सेक्रेटरी ,जी.एम.एस.) थे.इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अपने परिवार के उत्तरदायित्व निभाते हुए हमें समाज के लिए भी कार्य करने चाहिएँ. उन्होंने अपनी संस्कृति को बनाए रखने के लिए इस प्रकार के आयोजन करते रहने पर बल दिया.
 श्री सुशील छिब्बर और श्रीमती कृष्ण लता  छिब्बर विशिट अतिथि थे. कार्यक्रम के आरंभ में सभा के सेक्रेटरी श्री शशी छिब्बर ने सभा की गतिवधियों की जानकारी दी. श्रीमती माला वैद ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन किया. बच्चों ने नृत्य,फैंसी-शो , कविता-पाठ किया. श्रीमती नरेश बाला लव और श्रीमती कृष्ण लता छिब्बर निर्णायक थीं.

Wednesday, May 1, 2013

अशोक लव और अन्य कवियों ने पढीं प्रभावशाली कविताएँ










द्वारका (नई दिल्ली ) के वरिष्ठ नागरिकों की संस्था ' सुख दुःख के साथी ' की ओर से 28 अप्रैल को दिल्ली अपार्टमेंट्स (सेक्टर-22) के सभागार में काव्य-संध्या का आयोजन किया गया.इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अशोक लव ने की. मुख्य-अतिथि सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ हरीश नवल थे. काव्य-संध्या का आयोजन ओर संचालन कवि प्रेम बिहारी मिश्र ने किया था.
डॉ अशोक लव ने दीप प्रज्वलित किया.
प्रेम बिहारी मिश्र ने इस प्रथम प्रयास के विषय में बताया.उन्होंने कहा कि श्री अशोक लव से मिलने के पश्चात हमें बहुत प्रोत्साहन मिला. उनके मार्गदर्शन से यह आयोजन किया जा सका है. संस्था के समस्त सदस्यों ने हमारे इस कार्य के लिए भरपूर सहयोग का आश्वासन  दिया था. हमार सौभाग्य है कि हमारे बीच इतने वरिष्ठ साहित्यकार आए हैं.
श्री प्रेम बिहारी मिश्र की सरस्वती-वंदना से काव्य -संध्या का शुभारंभ हुआ.
डॉ हरीश नवल, डॉ अशोक लव ,सुधा सिन्हा,अशोक वर्मा,डॉ स्नेह सुधा नवल,प्रेम बिहारी मिश्र, आशा शैली.शबाना नज़ीर, कर्नल जी.सी. चौधरी,अशोक शर्मा,अनिल उपाध्याय,वीरेन्द्र कुमार ,डॉ प्रबोध कुमार,ध्रुव कुमार गुप्ता,शबाना नज़ीर ने कविता-पाठ किया. समारोह लगभग चार घंटे तक चला.
डॉ अशोक लव ने ' चलो सब भूल जाएँ ',' माँ और कविता '  तथा ' प्रवासी पुत्र-पुत्रियाँ '  कविताएँ सुनाकर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया. उनकी कविता 'प्रवासी पुत्र-पुत्रियाँ ' को श्रोताओं ने खूब सराहा.इसे सुनकर अनेक लोगों की आँखें नम हो गईं. अशोक वर्मा और शबाना नज़ीर की ग़ज़लों ने खूब रंग जमाया. डॉ स्नेह सुधा नवल की छोटी-छोटी कविताएँ--सीमा,यशोधरा,गौतम,स्त्री-पुरुष और वसंत तुम कहाँ हो अत्यंत प्रभावशाली थीं. प्रेम बिहारी मिश्र की कविता ' यह कैसी स्वर लहरी आई ' को सबने खूब पसंद किया. डॉ हरीश नवल की माँ संबंधी कविता को  श्रोताओं ने तालियाँ बजाकर सराहा.उन्होंने पढ़ी गई कविताओं पर अपनी समीक्षात्मक टिप्पणियाँ भी कीं. डॉ अशोक लव ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि वे  इस संस्था के साथ जुडकर उन्हें  बहुत अच्छा लगा है. द्वारका में अब इस प्रकार के कार्यक्रम होते रहने चाहिएँ.श्री प्रेम बिहारी मिश्र जी ने श्रेष्ठ कार्य का शुभारंभ किया है. हम आप सबके साथ हैं.
संस्था  के अध्यक्ष श्री विजय शंकर ने कहा कि हम भविष्य में भी इसी प्रकार के आयोजन करते रहेंगे. उन्होंने अध्यक्ष, मुख्य-अतिथि, कवियों,श्रोताओं और श्री प्रेम बिहारी मिश्र का धन्यवाद किया.