नेशनल ला
यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय काव्य-कार्यशाला और नाटक-मंचन समारोह आयोजित किया गया.17 नवंबर को ‘कविता और क़ानून’ विषय पर हुए आयोजन में वक्ताओं डॉ अशोक लव,डॉ
प्रसन्नांशु, डॉ विवेक गौतम,प्रेम बिहारी मिश्र और राकेश पांडेय ने विषय पर अपने
विचार प्रस्तुत किए. समस्त वक्ता इस विषय पर सहमत थे कि कविता और कानून दोनों ही
समाज के हित के लिए आवश्यक हैं.
विश्वविद्यालय के
प्रोफ़ेसर डॉ प्रसन्नांशु ने विद्यार्थियों और अन्य प्रतिभागियों को कविता लिखने के
लिए विषय दिया. इसका परिणाम उत्साहजनक रहा. अनेक प्रतिभागियों ने जीवन में पहली
बार कविताएँ लिखीं और मंच से सुनाईं. इंग्लिश और हिंदी भाषाओँ में लिखी
विद्यार्थियों की कविताओं पर अपनी समीक्षात्मक टिप्पणियों में वरिष्ठ कवियों ने
उनकी भरपूर प्रशंसा की.
दूसरे सत्र में
आमंत्रित कवि-कवयित्रियों ने कविता-पाठ किया. अशोक वर्मा, सुषमा भंडारी,प्रेम
बिहारी मिश्र,बिनीता मलिक,वीरेन्द्र कुमार मंसोत्रा,शोभना मित्तल और विजय सलूजा और
संयोजक डॉ प्रसन्नांशु ने अपनी कविताओं द्वारा दर्शकों को खूब प्रभावित किया.इन
कविताओं पर कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ अशोक लव ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ये
कविताएँ सामयिक टो हैं ही इनके साथ मानवीय मूल्यों को स्थापित करने की प्रेरणा
देती हैं.उन्होंने अपनी कविताएँ सुनाईं. डॉ प्रसन्नांशु ने इन्हें मंत्र-मुग्ध
करने वाली कविताएँ कहा. प्रेम बिहारी मिश्र ने कार्यक्रम का प्रभावशाली संचालन
किया.
विश्वविद्यालय के
कुलपति प्रोफ़ेसर रणबीर सिंह के प्रोत्साहन से इसका आयोजन डॉ प्रसन्नांशु ने किया
जो स्वयं इंग्लिश और हिंदी के श्रेष्ठ कवि हैं.
18 नवंबर को इंग्लिश के चार नाटकों का मंचन किया गया.ये नाटक
थे-एंटीगोन, द मर्चेंट ऑफ वेनिस,प्रो अर्चिया,द बेनिफिट ऑफ डाउट. ‘क़ानून और
साहित्य’ विषय से संबंधित ये नाटक विद्यार्थियों द्वारा अभिनीत और निर्देशित थे,
जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो श्री कृष्णदेव
राव ने इन गतिविधियों में सक्रिय भाग लेने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी और कहा
कि इनसे उनकी प्रतिभाओं को अभिव्यक्ति मिलती है.
इन नाटकों को
उपस्थित दर्शकों प्रेम बिहारी मिश्र,जसबीर सिंह,कैप्टन एस.एस.मान,प्रो के
कानन,बिनीता मलिक,जयश्री कानन,जे.पी.ध्यानी और डी.सी.माथुर आदि ने विशेष रूप से
सराहा और आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के उपकुलपति,रजिस्ट्रार और डॉ प्रसन्नांशु की
प्रशंसा की.