डॉ. हरीश नवल ने कई महत्वपूर्ण पुस्तकों
का संपादन भी किया है, जिसमें प्रमुख है भारतीय मनीषा के प्रतीक, रंग
एकांकी, गद्य – कौमुदी, धर्मवीर भारती के नाम पत्र, व्यावहारिक हिन्दी, शिव
शम्भू के चिट्ठे और अन्य निबंध तथा साहित्य-सुबोध। इसके अलावा डॉ. हरीश
नवल ने कई पुस्तकों में सह-लेखक का दायित्व भी निभाया है, जिसमें प्रमुख है
72 पुस्तकों में सहयोगी रचनाका, बारतीय लघुकथा-कोश में 10 रचनाएँ, विश्व
लघुकथा-कोश में 10 रचनाएँ, एन. एनथॉलजि ऑफ मॉडर्न इंडियन राइटिंग, कराची,
पाकिस्तान से प्रकाशित, भारतीय रंग संदर्भ पर लेख (उर्दू में) तथा भारतीय
समकालीन साहित्य, बुल्गारिया में रचना इत्यादि। इनकी कई रचनाओं का
अंग्रेजी, मराठी, गुजराती, बुल्गारियन, उर्दू व डोगरी में अनुवाद किया जा
चुका है।
डॉ. हरीश नवल बतौर स्तम्भकार इंडिया टुडे,
नवभारत टाइम्स, दिल्ली प्रेस की पत्रिकाएं, कल्पांत, राज-सरोकार तथा
जनवाणी (मॉरीशस) से जुड़े रहें हैं। इन्होने इंडिया टुडे, माया, हिंद
वार्ता, गगनांचल और सत्ताचक्र के सात अपनी पत्रकारिता के जौहर भी दिखाएँ
हैं।
इनकी कई महत्वपूर्ण रचनाओं को
विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। जिसमें प्रमुख है
पैजाब विश्वविद्यालय, बी.ए., उस्मानिया वि.वि., बी.ए., मुंबई शिक्षा बोर्ड,
दशम, नेशनल ओपन स्कूल, माध्यमिक तथा साउथ पेसिफिक वि.वि. (फिजी), बी.ए.।
पूर्व में डॉ. हरीश नवल इंडिया टुडे के
साथ साहित्य सलाहकार, एन.डी.टी.वी के साथ हिन्दी प्रोग्रामिंग परामर्शदाता,
आकाशवाणी दिल्ली के साथ कार्यक्रम सलाहकार, बालमंच के साथ सलाहकार, जागृति
मंच के साथ मुख्य परामर्शदाता, विश्व युवा संगठन के अध्यक्ष, तृतीय विश्व
हिन्दी सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय सह-संयोजक पुरस्कार समिति तथा हिन्दी
वार्ता के सलाहकार संपादक के पद पर काम कर चुके हैं।
डॉ. हरीश नवल को कई पुरस्कारों से नवाजा
गया है। जिसमें प्रमुख है, युवा ज्ञानपीठ पुरस्कार, गोविन्द वल्लभ पंत
पुरस्कार (भारत सरकार), साहित्य कला परिषद् पुरस्कार (दिल्ली राज्य),
साहित्यमणि (बिहार), बालकन जी बारी इंटरनेशनल सम्मान, साहित्य-गौरव
(हरियाणा), मीरा-मौर (दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन), जैनेन्द्र कुमार
सम्मान, फिक्र तौंसवी सम्मान, माध्यम का अट्टाहास सम्मान, काका हाथरसी
सम्मान व हास्य रत्न, हिन्दी-उर्दू अवार्ड(उत्तर प्रदेश) आदि।
इन्होने टी.वी व रेडियो लेखन में भी अपनी
दक्षता का परिचय दिया है। इन्होने 31 टी.वी कार्यक्रमों और धारावाहिक आदि
का लेकन किया है। जिसमें संसार, थोड़ी खुशी थोड़ा ग़म, निष्काम ऋषि, हिन्दी
रंगयात्रा, थोड़ी सी जि़न्दगी भी सम्मिलित हैं। इन्होने 100 से अधिक
रेडियो कार्यक्रम, धारावाहिकों तथा नाटकों का लेखन किया है।
डॉक्टर साहेब को विदेश में भी अध्यापन का
विस्तृत अनुभव है। इन्होने विजिटिंग व्याख्याता के रुप में सोफिया वि.वि.
बुल्गारिया तथा मुख्य परीक्षक मॉरीशस विश्वविद्यालय (महात्मा गांधी
संस्थान)का दौरा किया है। विजिटिंग वक्ता के रुप में डॉक्टर साहेब जापान के
टोक्यो वि.वि. व ओसाका वि.वि भी जा चुके हैं। इसके अलावा भारतीय प्रतिनिधि
के रुप में डॉ. हरीश नवल ने अमरिका, कनाडा, इंग्लैण्ड, फ्रांस, बेल्जियम,
जर्मनी, स्विटजरलैण्ड, ग्रीस, ऑस्ट्रिया, थाईलैण्ड, ओमान, आबू-धाबी, अलैन,
शारजाह, दुबई, मलेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका, बहामा तथा हॉलैण्ड की
साहित्यिक व सांस्कृतिक यात्राएँ की हैं।
डॉ. हरीश नवल के रचनाकर्म पर श्री नगर,
गढ़वाल विश्वविद्यालय, चेन्नई वि.वि., जीवाजी ग्वालियर वि.वि., रुहेलखण्ड
वि.वि. से एम.फिल. व पी.एच.डी के लिए शोध प्रबंध पारित किया जा चुका है।
सम्प्रति स्वतंत्र रचनाकर्म, अध्यक्ष ‘शब्द सेतु’ व निदेशक रोटरी क्लब
अपटाऊन।